Friday, 31 August 2018

रिक्शा वाले की बेटी ने जीता गोल्ड

उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी की स्वपना बर्मन ने जकार्ता में एशियन गेम्स 2018 में जब हेप्टेथलन स्‍पर्धा में गोल्ड मेडल जीता तो सब की निगाहें थम गईं और पूरा देश जश्‍न में डूब गया. लेकिन तब तक लोगों को नहीं मालूम था कि स्वपना के पैर दूसरों से थोड़े अलग हैं और उन्हें अपने लिए ऑर्डर से जूते बनवाने पड़ते हैं. घर पर धूम मची है लेकिन आने वाले कई खेलों के लिए स्वपना के लिए अच्छे बड़े जूते महत्वपूर्ण होंगे. आपको बता दें कि स्वपना ने जब दौड़ लगाई तो घर वालों की निगाहें टीवी स्क्रीन पर थमी रहीं तब तक जब तक उसने विजय सीमा पार नहीं की, फिर घर में धूम मची, मिठाइयां बटीं, पूजा हुई और पास-पड़ोस के लोगों ने पटाके फोड़े. उत्तर बंगाल की स्वपना ने देश का नाम रोशन किया. जबकि घर में मौजूद कई मेडल्स और ट्रॉफी उस मेहनत को दर्शाते हैं जो स्वपना अब तक करती आई हैं, लेकिन एक ऐसी समस्या थी जिसका समाधान ज़रूरी था. दरअसल, उनके पैर अन्‍य लोगों से अलग हैं. यानि उनके पैरों में 5 की जगह 6 उंगलियां हैं लिहाजा जूते ढूंढना एक मुश्किल काम है. स्‍पपना की इस समस्‍या का समाधान स्‍थानीय प्रधान ने किया और आज वह सबसे अधिक फक्र महसूस कर रहे हैं. गौरतलब है कि स्वपना के पिता रिक्शा चलाते थे और अब वह बीमार हैं. घर का खर्च अब स्वपना ही चलाती हैं.

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